मुझे याद है वो दिन जब पिता जी मुझे ये कहते हुए डाटते थे की तुमसे बेहतर तो वो लड़के हैं जो अच्छे स्कूल में ना जाकर भी तुमसे अच्छे नंबर ले कर आ रहे है जरा देखो रवि को.
और मै अपनी आँखें नीची करके बस चुपचाप सुनता रहता था. उस वक्त मेरे पास इतनी हिम्मत नहीं होती थी की मै अपनी सफाई पेश कर सकू लेकिन मन में उन सारे लडको की लिस्ट तैयार हो जाती थी जो मुझसे बेहतर स्कूल में जाकर भी अच्छे मार्क्स नहीं लाते थे. शायद मुझे उस समय उन सारे लड़कों की ज्यादा जरुरत होती थी जिससे मुझे एक अलग सा आत्मविश्वास मिलता था.
ये पिता जी का शायद एक अपना तरीका होता था जिससे वो मेरे अंदर प्रतिस्पर्धा की भावना भरने की कोशिश करते थे. लेकिन मेरा मन उन लोंगो के बारे में जानकार ज्यादा खुश होता था जिनसे मै बेहतर होता था.
मेरा मतलब यहाँ पिता जी की सोच को गलत ठहराने का नही है बल्कि मै तो यह बताने की कोशिश कर रहा हूँ की मेरे आज में उन लोंगो का कितना योगदान है जिनका नाम कभी भी मुझे उत्साहित करने के लिए नहीं लिया गया.
मुझे याद है वो दिन जब मेरा 10th (दशवीं) का रिजल्ट आया था, जो की बहुत अच्छा नहीं था मै खुश तो था की मै पास हो गया था लेकिन उससे ज्यादा डर मुझे पिता जी की नाराजगी का हो रहा था. और मैंने उनको अपने रिजल्ट के बारे में बताने से पहले उन सारे लड़कों की लिस्ट तैयार कर ली थी जो कभी ना कभी उनके उदाहरण में हुआ करते थे, जिनकी वजह से मैंने न जाने कितनी बार डाट खाई थी और जो इस बार फेल हो गए थे. मुझे पूरा विश्वास था की ये नाम आज मेरी सुरक्षा कवच की तरह काम करेंगे.
मुझे आज समझ में आया की जब आप हारते हैं तो हमारा अंतर्मन अपने आप कुछ और हारने वालों की लिस्ट तैयार कर लेता है और जब जीतते है तो भी उन हारने वालों की लिस्ट तैयार कर लेता है क्यूँ की उससे जीतने का एहसास और भी यादगार हो जाता है.
कॉलेज की कवि प्रतियोगिता (Poetry Competition) में जब मै दूसरे स्थान पर आया था तो मेरे दोस्तों ने सबसे पहले ये पूछा की पहले नंबर पर कौन था और उसके बाद तीसरे नंबर पर कौन आया था, तब जाकर मुझे उस तीसरे वाले की वजह से शाबाशी मिली थी और अगली बार प्रथम आने की प्रेरणा.
(I will not say I failed 1000 times,
I will say that I discovered there are 1000 ways
that can cause failure...(Thomas Alva Adison).
दुनिंया का हर Motivational Speaker कभी न कभी इन पंक्तियों को अपनी Presentation में जरुर यूज कर चूका होगा, क्या होगा अगर इन पंक्तियों में से हजार (1000 times) को हटा दे, शायद इनका महत्व उतना नहीं रहेगा जितना पहले था. शायद Edison की जीत हजार बार फेल होने से ज्यादा प्रत्याशित हो गई.
हर हार में एक तकलीफ जरुर होती है लेकिन जीत की लिए ख़ुशी का माध्यम भी यही होता है. तो जीवन के किसी मोड़ पर अगर हार का सामना करना पड़ा तो हमें ये सोच लेना चाहिए की एक यादगार जीत हमारा इंतजार कर रही है.
अंत में बस इतना कहना चाहूँगा की हमारी जीत में जितना योगदान हमारी मेहनत और लगन का होता है उतना ही योगदान उन लोंगो का भी होता है जिन्होंने उस खेल में हिस्सा लेकर उसे प्रतिस्पर्धात्मक बनाया नहीं तो कोई भी खेल इतना मुश्किल नहीं होता और उस जीत की खुशी उतनी यादगार नहीं होती .
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