Thursday, 22 March 2018





ये दुनिया एक क्रिकेट ग्राउंड की तरह है, और जिन्दगी उस दर्शक की तरह जो स्टेडियम में बैठ कर निहार रही हो हमें, कभी तालियाँ बजाती, चीयर करती हुई, कभी मोटीवेट करते हुए, कभी मिस हुए शॉट को देखकर कचोटते हुए, कभी गुस्से में कोसते हुए तो कभी हमारे रंग में ढलकर हमें साथ देते हुए, लेकिन हर बार ये जिंदगी यही कहती हैं कि, कोई बात नहीं रिजल्ट जो भी हो दुबारा खेलने का मौका हमेशा हमारे साथ है और जहाँ दुबारा खेलने का मौका है, वहां पहले से बेहतर परफॉर्म करने के चांसेज भी जरुर मिलते हैं  |

जिंदगी जैसे कभी किसी के साथ कुछ गलत नहीं करती, हाँ कई बार लगता है कि टॉस जीतने वाला ज्यादा सौभाग्यशाली है, लेकिन मौका तो दूसरी टीम को भी मिलता है न, क्यूँ की अगर दूसरी टीम को मौका नहीं मिला तो पहले वाले के टॉस जीतने का  कोई वजूद नहीं रहता, बिलकुल हमारे खट्टे मीठे दिनों की तरह, अगर सब कुछ ठीक ही हो रहा हो तो फिर उसका वजूद ख़त्म हो जाता है या फिर पहले जैसे ख़ुशी नहीं मिलती, बिलकुल उस चुटकुले की तरह जिसे जितनी बार सुनो उसका मज़ा कम होता जाता है |

मैंने कई बार जिंदगी की जीभर के कोसा है, जीभर के गालियाँ भी दी हैं, जैसे कोई प्रोमिस तोड़ दिया हो जिंदगी ने मुझसे, लेकिन शांत होकर सोचा तो कभी कुछ ऐसा वाकया मिला ही नहीं जहाँ पर जिंदगी ने मुझसे कोई वादा किया हो, और जब कोई वादा ही न हो, तो वादे का टूटना कैसा , फिर मुझे एहसास हुआ कि ये तो एकतरफा था सब कुछ, मैंने ही टॉस उझाला हो मैंने ही टॉस जीता हो, मैंने ही खेला और जीतने की कोशिश भी की और हारने के बाद जीभर के कोसा हो, लेकिन ऐसा मैच सच में होता कहाँ है भला, सपनो में भी तो नहीं होता है ऐसा कुछ, शायद दुनिया में जैसे कुछ भी अकेले नहीं होता है, हर किसी के साथ किसी न किसी का, कोई न कोई वजूद, जरुर जुड़ा होता है, कई बार दिखता है तो कई बार नहीं दीखता, वैसे बात तो ये भी है न कि सपने भी देखने के लिए महज आखें नहीं चाहिए होती हैं, उन आखों में नींद भी तो बहुत जरुरी होती है और शायद ऐसे नींद वाले सपने टिकाऊ भी तो नहीं होते, नींद खुलने पर कभी याद आते हैं तो कभी भूल जाते हैं |

कई बार मुझे जिंदगी बिलकुल उस बैटिंग पारी की तरह लगती है जो सलामी जोड़ी की तरह आपके साथ खेलने आती है, साथ देती है, और हम खेलते रहते हैं और रन बनता रहता है, लेकिन ऐसा होता ही कहाँ है किसी खेल में, जिसमे सलामी जोड़ी टूटती न हो, लेकिन साथ ही जिंदगी फिर से एक नए रूप में नए बल्लेबाज बनके आ जाती है, हम फिर खेलना शुरू करते हैं, खेलते जाते हैं रन बनाते जाते हैं, कई बार आउट भी हो जाते हैं लेकिन ये बल्लेबाज के आने जाने का सिलसिला चलता ही रहता है, जैसे जिंदगी कहना चाहती हो, कि तुम तो अपने आखिरी ओवर तक टिके रहने की कोशिश करो मै साथ देती रहूंगी और तब तक साथ देती रहूंगी जब तक तुम खेलते रहोगे, मै तुम्हारे साथ ही हूँ एक वादे के साथ जो उस बैटिंग के आखिरी जोड़ी के साथ होता है कि आखिरी जोड़ी में आउट कोई भी हो दूसरा बल्लेबाज भी उसके साथ ही लौट जाता है पवेलियन उसका साथ देते हुए |

हाँ जिंदगी कभी अकेला नहीं छोडती बिलकुल उस खेल के तरह जिसमें कम से कम दो लोग तो चाहिए ही होते हैं, जैसे मै और मेरी जिंदगी |

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