वो दिन याद यादे आते हैं जब नए साल के एक दिन पहले फोन में टेक्स्ट मेसेज रिचार्ज करके 12 बजने का इंतजार करते थे और बजते ही शुरू हो जाते थे मेसेज भेजना, नेटवर्क जैम हो जाता था, मेसेज नहीं जाते थे, कुछ तो अगले दिन डिलीवर होते थे, उसके बाद कॉल करके विश करने का सिलसिला शुरू होता था.
कुछ रिप्लाई वाले मेसेजेस सेव करके रखते थे और खुश होते रहते थे देखकर. आज कई बार सोचता हूँ सोशल मिडिया ना होता तो हम इन खास दिनों को कैसे सेलिब्रेट करते. आज कितना आसान है सब कुछ, एक ग्रुप या ब्रोडकास्ट लिस्ट बनाओ, और भेज दो एक ही बार में सबको, फिर जब फोन भर जाए तो डिलीट कर दो. मजेदार बात तो ये हैकि कुछ मेरे ऐसे भी दोस्त हैं जिनका मेसेज बस इन्ही दिनों में आता है, पलट के जवाब दे दो तो वो देखते तक नहीं, न ही कॉल पिक करते थे, लेकिन हाँ विश करना नहीं भूलते, क्यूंकि व्हात्सप्प है तो मुमकिन है. सवाल बस इतना है कि सोशल मिडिया ने कम्युनिकेशन के टूल तो दे दिए हैं लेकिन कम्युनिकेशन ख़तम कर दी है. कोशिश कीजिये, कि जिनको आप खास मानते हैं उनसे इन टूल्स के बिना भी जुड़िये, मिलिए, उनका हाल हाल पूछिये और कुछ नहीं तो फोन उठाइये और बात कीजिये, बहुत सुकून मिलेगा और रिश्ते भी जिंदाबाद रहेंगे. News Credit - Hindustan Times useful relationship Networking
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