योग दिवस मनाने का अपना अपना अंदाज दिखा, खैर राजनीतिक गलियारों में
योग पहले से ही बहुत फेसम रहा है, ये और बात है की इस योग से नेताओं की सेहत का
ठीक होने का सम्बन्ध बस उतना ही है जितना जीतेन्द्र आप विधायक और पुर कानून मंत्री
जीतेन्द्र तोमर के डिग्रीयो का | चुनाव के बाद जब राजनीतिक पार्टियों को ये एहसास
होता है कि उनके द्वारा जीत कर लाइ गई सीटों का कुल योग उन्हें सत्ता दिलाने में
काम नहीं आएगा तो वो उस पार्टी से भी मेल-मिलापासन की मुद्रा में आ जाते हैं जिससे
वो पहले विरोधासन में हुआ करते हैं |
सत्ता में आते ही योग के दीवानगी
मानो जैसे बढ़ ही जाती है, चुनाव के वक्त दिए गए सम्पति के व्योरे में जब तक मल्टिपासन
ना लग जाये तब तक मानो राजनीतिक कैरियर में शीर्षासन चल रहा है | इस तरह के आसनों
के परम जानकार और ज्ञानी बाबा सुरेश कलमाड़ी जी ने देश को एक नया नजरिया दिया | उन्होंने सिखाया कि किस तरह से आप देश दुनिया
से शारीरिक रूप से फिट खिलाडियों को बुलाकर उन्हें एक बंद स्टेडियम में कुद्वाकर और
दौड़ाकर एक ट्रोफी पकड़ा देते हैं और उनके शौचालय के कमोड से लेकर टिस्यू पेपर तक
में भ्रस्टाचारासन खोजकर अपने खाते के योग को बढ़ा लेते हैं | सच में इतना बड़ा योगी
मात्र हमारे देश में ही मिल सकता है |
योग दिवस को वैश्विक मान्यता दिलाने के मामले में नरेन्द्र मोदी के
योगदान को कभी भुला नहीं जा सकता, लेकिन अगर महिलाओं से समर्थन लेने के जानकार योगगुरु
ललित मोदी की बात करें तो उन्होंने विश्व को एक नया नजरिया दिया दी कि “एक सफल
व्यति के पीछे एक महिला का हाथ होता हैं लेकिन अगर आपको ललित मोदी जैसी सफलता
चाहिए तो कई राजनीतिक महिलाओं के योग वाला हाथ चाहिए |
खैर योग की असली महत्ता तो सुपर परम योगी एंडी तिवारी को समझ में आई
थी, वो जहाँ भी गए खूब योग फैलाया, और उनको ये भी पता नहीं चला की उनके द्वारा बनाये
गए योग को चेक करने के लिए डीएनए टेस्ट वालों को कितनी मशक्कत करनी पड़ेगी | खैर 21
जून को योग दिवस के साथ साथ पिता दिवस भी था और एंडी तिवारी को देश के अलग अलग कोने
से बधाइयाँ और शुभकामनायें आई होंगी, और ये शुभकामनाएं उनके द्वारा फैलाए योग के
द्वारा ही थी |
राजपथ के योग की सभा में सबसे अजीब वाकया तब हुआ जब अरविन्द केजरीवाल
ने नजीब जंग को देखा, और जैसे ही ये उद्घोषणा हुई कि योग से आपसी सामंजस्य बढ़ता
है, केजरीवाल फट से शीर्षासन करने लग गए |