Wednesday 8 September 2021

आज सुबह मेट्रो लेने के लिए रिक्शा लिया

कुछ दूर चले ही थे, रिक्शे वाले ने अचानक ब्रेक लगा दिया

ब्रेक अचानक था तो मै आगे की तरफ झुक और लगभग गिरते गिरते बचा, मै गुस्से में पूछता, इससे पहले मैंने देखा कि बिल्ली आगे से निकली थी, जिसके वजह से उसने ब्रेक मार दी.

गुस्सा तो बहुत आया, पर मैंने आराम ही पूछा, भैया बिल्ली ने रास्ता काट दिया, इसलिए रुक गए?
हाँ भैया, और उसके बाद वो किसी के आने का इंतजार कर रहा था जिससे की बहम के हिसाब से नुकसान न हो

मै लेट हो रहा था, पर मैंने उसे प्यार से समझाने की सोची
मैंने पूछा आपको कभी नुकसान हुआ है कुछ ऐसे ना करने से ?
उसने कहा नहीं

मैने आगे कहा, तुम्हे क्यों लगता है कि बिल्ली तुम्हारा नुकसान करना चाहती है?

दरअसल लोगों ने इसलिए रुकना शुरू किया होगा की जब जानवर रास्ता क्रॉस करते हैं तो उनके पीछे उनके बच्चे भी आते हैं, तो कहीं ऐसा न हो की बच्चे गाड़ी से दब जाएँ या डर के मारे क्रॉस ही न करें, लोगों ने रुकना शुरू कर दिया.

खैर ये कहानी तुरंत ही बनी थी, पर वो संतुष्ट लगा और मेरा स्टेशन भी आ गया था.😊

कहानियां भरोसा तोड़ने और बनाने दोनों का काम करती हैं…!

क्या आप भी बिल्ली के गुजरने से रुक जाते हैं ??

Tuesday 11 May 2021

 



उस दिन वैक्सीन लगवाने के बीच में ही मेरे कैब वाले को कहीं अचानक जाना पड़ा और लौटते हुए मुझे कोई कैब नहीं मिल रही थी.

कुछ बुक हुई भी तो ड्राइवर्स ने लोकेशन पूछ कर कैंसिल कर दिया क्युकी दिल्ली से वैशाली यानि यूपी में आना था.

मै थोडा परेशान हुआ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था की जाने का क्या करें अब, 

एक ऑटो आ रहा था, मन में सोचा, इससे बात करूँ, कम से कम बॉर्डर तक तो छोड़ ही देगा, हालाँकि उसके जाने की उम्मीद न के बराबर थी, फिर भी मेरे पास कोई आप्शन नहीं था तो मैंने, उसे हाथ दिया.

भैया आनंद विहार तक छोड़ दोगे? 

हाँ, छोड़ देंगे! 

कितना लोगे, (मेरे मन में था की जो भी बोलेगा चल दूंगा क्यूंकि मज़बूरी थी और ये बात उसे भी पता थी, तो मै किसी भी रेट के लिए तैयार था)

भैया मीटर से चलेंगे, जो बनेगा दे देना! 

मेरे लिए ये किसी झटके से कम नहीं था, क्यूंकि दिल्ली में ऑटो वाले नार्मल दिनों में भी मीटर से चलने में कतराते हैं, और आज तो मज़बूरी थी मेरी.

मेरे लिए पहले पहला झटका तो ये था की ये चलने को तैयार हुआ, दूसरा वो भी मीटर से, मै बैठा, मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने कुछ देर में पूछ ही लिया, भैया, एक बात बताओ ये मीटर से जाने वाली बात हजम नहीं हुई, आप लोग तो इतनी आनाकानी करते हैं मीटर से जाने में और आज जब सवारी नहीं है इतनी तो आपने मीटर से हाँ बोल दिया.

सर सही कहा आपने, लेकिन इस कोरोना में हर कोई अपने दुखों से परेशान है, अब ऊपर से उसे क्या चार्ज करना, मै इन दिनों कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं लेता हूँ, जो मिल जाता, जिधर की सवारी मिलती है, ले जाता हूँ सोचता हूँ की लोग मुश्किल में ही घर से बाहर निकल रहे हैं, उन्हें और क्या मुश्किल में डालना. 

मन में उसके लिए इज्जत बढती जा रही थी, आज जब, बड़े बड़े लोगों, नेताओं को ओक्सीजन, इंजेक्शन, दवाइयों की कालाबाजारी और लोगों की मज़बूरी का फायदा उठाते हुए देखता हूँ तो लगता है कि ये ऑटो वाला उनसे लाख दर्जा बेहतर है. 

सच में बहुत से लोग हैं जो बहुत बेहतर कर रहे हैं इस महामारी में और दुनिया इन्ही लोगों से खूबसूरत बनी हुई है. 

  

Sunday 14 February 2021

 



आपके बिना दो साल हो गए आज!
आपके न होने का ग़म हर दिन रहा है, मुझे लगता हैकि हमारी जिंदगी में माँ जब तक होती है वो टाइम मशीन की तरह होती है, जब तक जिंदा है, आप उसके साथ अपने बचपन में कभी भी जा सकते हैं, उसके पास वो जादुई ताकत होती है जो समय को ठहराना जानती है, उसके हाथों में एहसास का वो असर होता है जिसके संपर्क में आकर आप ना चाहकर भी बच्चा बन जाते हैं ।
मैंने दुनिया में माँ से बेहतर कोई स्टोरी टेलर नही देखा, लोग जब कहानियां कहते हैं, तो ढेरों तैयारियां करते हैं, लेकिन एक बार माँ को अपने बचपन की कहानियों में ले जाकर देखिये, कुछ वाकया छेड़ कर देखिये, देखिये, फिर कैसे वो आपको आपको बचपन में ले जाती है, आपके तोतली भाषा से लेकर, आपके चलने, गिरने, और उठने और गोद में उठाने तक को ऐसी बताती है कि सब जिंदा हो जाता है, और आप तो बस कहानी सुनिए और उनके चेहरे पर उस ख़ुशी को पढ़िए, आखों में चलती हुई अपने अतीत की फ़िल्म देखिये, दुनिया में किसी भी बेहतर कहानी और फ़िल्म के आगे वो कहानी ज्यादा खूबसूरत लगेगी आपको, क्यूंकि इस एपिसोड को माँ के बिना दुनिया में कोई दुसरा इन्सान नहीं बता सकता है, और उसके जाने के बाद ही वो आपके बचपन वाली किताब बंद हो जाती है, फिर नहीं खुलती क्यूंकि उसके बाद तो बस जन्मदिन, कुंडली और राशिफल ही बचते हैं बचपन नहीं बचता |
इस पोस्ट को लिखने का बस इतना सा मतलब हैकि माँ हर स्तिथि में बस प्यार और प्यार देने के लायक होती है, अपने आस पास देखिये, थोड़ा टाइम निकालिये, रिश्तों को सींचिये, अगर माँ है तो उसके पास बैठिये अपने बचपन की कहानियों को सुनिए, क्यूंकि उसके बाद आप बचपन की फोटो को किसी DP में लगाकर देख और दिखा तो सकते हैं, लेकिन उस तस्वीर में जान डालने वाली एकलौती इन्सान, केवल माँ ही होती है |
माँ कभी अकेले नहीं जाती, बहुत कुछ ले जाती है साथ, हाँ उसकी दुवायें आसपास ही रहती हैं लेकिन, बच्चे का मन केवल दुवाओं से तो नहीं भरता ना!

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