Wednesday 10 July 2019



करीब 2 साल हो गये, मुझे स्टार्टअप की दुनिया में मुझे अपने आपको देखते हुए, और तबसे लगभग हर दिन एक उम्मीद और डर के साथ जागता हूँ. उम्मीद कुछ बेहतर करने की, उम्मीद उस दिन को सबसे यादगार दिन बनाने की, उम्मीद अपने सपने के और करीब जाने की, उम्मीद, इतनी उम्मीद रखने की कि कल भी उम्मीद बची रहे.

डर, अपने सपने को वो शेप ना दे पाने कि जो देखता हूँ हर दिन, डर उम्मीदों को पूरा न कर पाने कि जो मैंने देखें हैं और जो बाकि लोगों ने मेरे वजह से देखें हैं, डर उस दुनिया को न बना पाने कि जिसकी ख्वाहिश जाने कबसे पाल रखी है, डर बैंक करप्ट हो जाने की, डर इस दुनिया में बिना कुछ इम्पैक्ट क्रियेट किये चले जाने की, डर कुछ समाज में कंट्रीब्यूट न कर पाने की.

लेकिन, जैसे जैसे दिन बढ़ता जाता हैं, काम शुरू करते हैं, डर कम होने लगता है और उम्मीद बढती जाती हैं, और शायद डर पर हावी होने या कब्ज़ा करने का इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं लगता मुझे.

इस दुनिया में मैंने अभी तक जो भी पाया है उसमें डर हमेशा से था, लेकिन लेकिन कभी उमीद को हारने नहीं दी, क्यूंकि जिस दिन उम्मीद हार जाती है कुछ बचता नहीं है करने को, और काम करने से ही उम्मीद को ताकत मिलती रहती है, बिना काम और एक्सिक्युशन के तो सब खयाली पुलाव ही है और ख्याली पुलाव की सबसे अच्छी बात ये हैकि इसका टेस्ट कभी बुरा नहीं हॉट और बुरी बात हैकि इससे पेट नहीं भरता कभी.

मेरा मानना हैकि अगर सफलता बहुत आसान होती तो दुनिया का हर आदमी सफल होता, तो जब रिजल्ट्स ना आये तो ईमानदारी के साथ प्रयास डबल कर देने चाहिए, इससे अलावा और कोई चारा नहीं है सफल होने का.


Followers

The Trainers Camp

www.skillingyou.com

Join Us on Facebook

Popular Posts