व्हाट्सएप पर बातचीत का आलम ये है वो पिछले करीब 6 महीने से रोज सुबह मुझे मोटिवेट करके के लिए एक पोस्ट भेज देता है, शायद समाज को सुधारने और मोटिवेट रखने का सारा जिम्मा उसी के पास है ।
जाने कहां से इतना मोटवेशनल ज्ञान ले आता है वो, हर दिन सुबह लगभग एक ही तय वक्त पर मुझे एक मैसेज भेज देता है, मैं शुरुवात में मोटिवेट होता रहा लेकिन जब लगा कि कही ज्यादा ना मोटिवेट हो जाऊं तो मैंने पढ़ना बंद कर दिया ।
खैर ज्यादा मोटिवेट होना ही मात्र एक कारण नही था, इसके पीछे एक दूसरा बड़ा कारण भी है ।
व्हाट्सएप ने जहाँ कम्युनिकेशन को आसान बना दिया है वहीं इसके मायने भी बदल दिये है, लोगों को लगता है कि व्हाट्सएप पर एक ग्रुप या ब्रॉडकास्ट लिस्ट बना कर रोज सुबह गुड मॉर्निंग बोल देने से बातचीत बनी रहती है, और इस ग्रुप के सहारे मैं दुनिया की सारी मुश्किलें खत्म कर सकता हूँ ।
परिवार वाले "My Family" ग्रुप बनाकर रामु काका को छोडक़र उसमे सबको जोड़ चुके हैं और रामु काका कहते हैं ये आपस में तो इतनी भी बात नही करते जितनी बातें मुझे काम बताने के दौरान कर लेते हैं ।
आज हालात ये हैं जन्मदिन, दीवाली, दशहरा, ईद सब कुछ यहीं मनती है, व्हाट्सएप ग्रुप्स ने तो पैसे भी बचाने शुरू कर दिये हैं, कहा दीवाली पर पुडिंग सेट लेकर घर जाना पड़ता था अब दीवाली के दिन पुडिंग सेट वाली फोटो के साथ धमाकेदार दीवाली विश कर दो तो भी बात बन जाती है ।
बच्चे का जन्मदिन यहीं सेलिब्रेट होने लगा है अब, घर से निकलकर जाने की जहमत कौन उठाये, रात के बारह बजते ही विश कर दो काल करने की टेंशन भी खत्म ।
समस्या डेली मोटिवेशन या इस तरह के ग्रुप्स से नही है, समस्या इस बात से है कि इस तरह के ग्रुप्स में लोग जुड़े दिखने के बाद भी खतरनाक तरिके से बिखरे हुए होते हैं ।
जैसे कि मैंने पहले ही बताया था कि सुबह होते ही मेरे दोस्त का मैसेज आ जाता है मुझे, जाहिर सी बात है मैं उसके समाज कल्याण ब्रॉडकास्ट लिस्ट का हिस्सा हूँ, वो सुबह सुबह मेसेज भेज कर सामाजिक दायित्व से तृप्त हो जाता है, उसे लगता है कि अब उसके मेसेज के बाद समाज दुगुने स्पीड से काम पर लग गया होगा, समस्या तो ये है कि समाज का एक तबका सुबह सुबह इसी तरह के मेसेजेस को डिलीट करने में घंटो लगा देंते हैं ।
मैंने सुरुवात के कई दिन तक उसे गुड मॉर्निंग भाई लिखकर भेजता रहा, मुझे लगा कि उसके समाज सुधारक यज्ञ में कुछ आहुति तो मेरी तरफ से भी तो बनती है, लेकिन मुझे आश्चर्य इस बात पर हुआ कि हफ्ते हो गए उसने मेरे मेसेज को देखा भी नही, मुझे लगा सामाजिक आदमी है बिजी होगा , मैंने अगले एक हफ्ते तक फिर से गुड मॉर्निंग बोला, लेकिन उसने फिर से कोई मेसेज नही देखा ।
मुझे लग गया कि इसे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता हैकि अगर समाज इसके मोटिवेशन मेसेज से मोटिवेट हो जाये और इससे आगे बात करने के लिए वही एक अर्जी वाला मेसेज भेज दो तो ।
जाने कहां से इतना मोटवेशनल ज्ञान ले आता है वो, हर दिन सुबह लगभग एक ही तय वक्त पर मुझे एक मैसेज भेज देता है, मैं शुरुवात में मोटिवेट होता रहा लेकिन जब लगा कि कही ज्यादा ना मोटिवेट हो जाऊं तो मैंने पढ़ना बंद कर दिया ।
खैर ज्यादा मोटिवेट होना ही मात्र एक कारण नही था, इसके पीछे एक दूसरा बड़ा कारण भी है ।
व्हाट्सएप ने जहाँ कम्युनिकेशन को आसान बना दिया है वहीं इसके मायने भी बदल दिये है, लोगों को लगता है कि व्हाट्सएप पर एक ग्रुप या ब्रॉडकास्ट लिस्ट बना कर रोज सुबह गुड मॉर्निंग बोल देने से बातचीत बनी रहती है, और इस ग्रुप के सहारे मैं दुनिया की सारी मुश्किलें खत्म कर सकता हूँ ।
परिवार वाले "My Family" ग्रुप बनाकर रामु काका को छोडक़र उसमे सबको जोड़ चुके हैं और रामु काका कहते हैं ये आपस में तो इतनी भी बात नही करते जितनी बातें मुझे काम बताने के दौरान कर लेते हैं ।
आज हालात ये हैं जन्मदिन, दीवाली, दशहरा, ईद सब कुछ यहीं मनती है, व्हाट्सएप ग्रुप्स ने तो पैसे भी बचाने शुरू कर दिये हैं, कहा दीवाली पर पुडिंग सेट लेकर घर जाना पड़ता था अब दीवाली के दिन पुडिंग सेट वाली फोटो के साथ धमाकेदार दीवाली विश कर दो तो भी बात बन जाती है ।
बच्चे का जन्मदिन यहीं सेलिब्रेट होने लगा है अब, घर से निकलकर जाने की जहमत कौन उठाये, रात के बारह बजते ही विश कर दो काल करने की टेंशन भी खत्म ।
समस्या डेली मोटिवेशन या इस तरह के ग्रुप्स से नही है, समस्या इस बात से है कि इस तरह के ग्रुप्स में लोग जुड़े दिखने के बाद भी खतरनाक तरिके से बिखरे हुए होते हैं ।
जैसे कि मैंने पहले ही बताया था कि सुबह होते ही मेरे दोस्त का मैसेज आ जाता है मुझे, जाहिर सी बात है मैं उसके समाज कल्याण ब्रॉडकास्ट लिस्ट का हिस्सा हूँ, वो सुबह सुबह मेसेज भेज कर सामाजिक दायित्व से तृप्त हो जाता है, उसे लगता है कि अब उसके मेसेज के बाद समाज दुगुने स्पीड से काम पर लग गया होगा, समस्या तो ये है कि समाज का एक तबका सुबह सुबह इसी तरह के मेसेजेस को डिलीट करने में घंटो लगा देंते हैं ।
मैंने सुरुवात के कई दिन तक उसे गुड मॉर्निंग भाई लिखकर भेजता रहा, मुझे लगा कि उसके समाज सुधारक यज्ञ में कुछ आहुति तो मेरी तरफ से भी तो बनती है, लेकिन मुझे आश्चर्य इस बात पर हुआ कि हफ्ते हो गए उसने मेरे मेसेज को देखा भी नही, मुझे लगा सामाजिक आदमी है बिजी होगा , मैंने अगले एक हफ्ते तक फिर से गुड मॉर्निंग बोला, लेकिन उसने फिर से कोई मेसेज नही देखा ।
मुझे लग गया कि इसे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता हैकि अगर समाज इसके मोटिवेशन मेसेज से मोटिवेट हो जाये और इससे आगे बात करने के लिए वही एक अर्जी वाला मेसेज भेज दो तो ।
अजीब है दोस्तों जाने ऐसी जिम्मेदारी का क्या करना जहां आप बस एक ब्रॉडकास्ट लिस्ट बनाकर सुबह गुड, महादेव का दर्शन, मोटवेशनल ज्ञान, देश की समस्याएं सब कुव्ह भेज देते हैं और बदले में आपके पास इतनी फुरसत नही होती है की आप उस मेसेज का रिप्लाई कर दें जिसमे आपके दोस्त ने लिखा होता है की भाई एक मदद चाहिए तुमसे ।
ध्यान दीजिए कहीं इसी तरह के समाज कल्याण का हिस्सा आप तो नहीं हैं।